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Sunday, April 5, 2020

Jagdalpur कोरोना के 30 नमूनों की जांच नहीं हो सकी क्योंकि टेक्नीशियन काे पूरे दिन काम की जगह मकान खाली करने में उलझा दिया

जगदलपुर / कोरोना के 30 नमूनों की जांच नहीं हो सकी क्योंकि टेक्नीशियन काे पूरे दिन काम की जगह मकान खाली करने में उलझा दिया















जगदलपुर. कोरोना के संक्रमण में जांच की भूमिका सबसे अहम है। जरूरी है कि संदिग्धों की जांच रिपोर्ट जल्द से जल्द आए, लेकिन मेकॉज प्रबंधन के अजब रवैये के कारण यहां गुरुवार को पूरे दिन जांच ही नहीं हो सकी। माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट में 30 सैंपल अटके हुए हैं, एक की रिपोर्ट बनना तो दूर जांच भी नहीं हो सकी।
पूरे दिन व्यस्त रही टेक्नीशियन
मेडिकल कॉलेज के सूत्रों के मुताबिक सुबह-सुबह डीन यूएस पैंकरा ने अचानक माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट की टेक्नीशियन (साइंटिस्ट) को सरकारी क्वार्टर खाली करके दूसरी जगह शिफ्ट करने का आदेश दे दिया। जिस टेक्नीशियन को यह आदेश दिया वही कोराेना संदिग्धों के नमूनों की जांच करती है। पता चला काम की जगह टेक्नीशियन पूरे दिन इसी में व्यस्त रही। यही नहीं जिस कमरे में उसे शिफ्ट होना था वह दूसरे के नाम से अलाॅट था। अब साइंटिस्ट के सामने संकट था कि वह अपने ठहरने की वैकल्पिक व्यवस्था देखे। जबकि सरकार की ओर से विशेष निर्देश हैं कि कोराेना की रोकथाम में लगे लोगों के काम में किसी तरह की बाधा न आए। लेकिन मेडिकल प्रोफेशन से जुड़े अफसर ही इसकी गंभीरता नहीं समझ सके। 
महिला ने इसका विरोध किया था
बताया जा रहा है कि जिस इमारत में टेक्नीशियन का कमरा है, उसमें डॉक्टरों के लिए क्वारेंटाइन सेंटर बनेगा। यानी कि कोराेना वार्ड में काम कर रहे डॉक्टरों को यहां रुकवाया जाएगा। इससे पहले मेकॉज की महिला जेआर ने भी अचानक कराई गई ऐसी शिफ्टिंग का विरोध किया था। उस वक्त भी मेकाॅज प्रबंधन कोराेना से लड़ने के उपाय के बजाय दो दिन कमरे खाली करवाने में उलझा हुआ था।  
ऐसे हालात बन गए कि पुलिस बुलानी पड़ी 
इधर शिफ्टिंग के दौरान काफी विवाद भी हुआ। टेक्नीशियन ने कमरा खाली होने पर वैकल्पिक व्यवस्था पूछी तो उसे यह तक नहीं बताया जा सका कि उसके रहने का इंतजाम कहां किया गया है। काफी देर बाद उसे दूसरी बिल्डिंग में एक रूम दिया गया। जब महिला साइंटिस्ट ने अपना सामान शिफ्ट करना शुरू किया तो मेकॉज का एक और कर्मचारी वहां आ गया। उसने बताया कि उक्त कमरा उसे अलाॅट हुआ है। दोनों पक्षों में इस बात पर विवाद हो गया। विवाद के दौरान ही इसकी सूचना किसी ने पुलिस को दे दी तो मौके पर पुलिस भी पहुंच गई। काफी हो-हल्ला के बाद टेक्नीशियन को रूम तो मिल गया लेकिन इस दौरान पूरा दिन बीत गया। विवाद के दौरान मेकाॅज प्रबंधन से जुड़े किसी अफसर को नमूनों की जांच की याद ही नहीं आई। यही नहीं अफसरों ने यह भी नहीं सोचा कि टेक्नीशियन को अचानक घर शिफ्ट करने के लिए कहा जा रहा तो उसकी मदद के लिए स्टाफ को लगाया जाए ताकि जांच का काम प्रभावित न हो। 


शाम तक विवाद सुलझ गया, कमरा मिल गया है
मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. यूएस पैंकरा ने बताया कि जेआर हॉस्टल को खाली कराया गया है। जिससे लैब में कार्यरत साइंटिस्ट का कमरा भी खाली कराया गया। साइंटिस्ट को दिया गया कमरा किसी और को अलॉट था, इससे कुछ विवाद हो गया था। कलेक्टर को भी इस मामले की जानकारी दे दी गई थी। विवाद सुलझ गया है और साइंटिस्ट को एडजस्ट करा दिया गया है।
कोरोना वार्ड से जुड़े हैं तो सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं
इधर एक दिन पहले हॉस्पिटल अधीक्षक डॉ. केएल आजाद ने एक आदेश जारी किया था। इसमें कहा गया था कि किसी भी स्टाफ को 14 दिनों के क्वारेंटाइन के लिए पहले मेकाॅज के दो डॉक्टरों से जांच के बाद सर्टिफिकेट लेना होगा। इस मामले में गुरुवार को अधीक्षक ने आदेश को स्पष्ट करते हुए बताया कि यह आदेश सिर्फ उन कर्मचारियों के लिए लागू होगा जो किसी भी प्रकार से कोरोना डिपार्टमेंट के टच में नहीं हैं और बिना वजह ही खुद को संक्रमित मानते हुए 14 दिनों के क्वारेंटाइन में जाने की इजाजत मांग रहे हैं।
जो स्टाफ कोरोना डिपार्टमेंट में काम करेगा वह सीधे ही क्वारेंटाइन में जायेगा। इस मामले में गुरुवार को ही दैनिक भास्कर ने खबर प्रकाशित करते हुए बताया था कि पहले वाले आदेश के बाद कोरोना डिपार्टमेंट में काम करने वाले स्टाफ नाराज हैं। इसके बाद अधीक्षक ने पूरे मामले को स्पष्ट कर दिया है।

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